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  • बारां

    बारां

    लकड़ी के पहाड़ी और घाटियों की भूमि

    रामगढ  पोंड

बारां

लकड़ी के पहाड़ी और घाटियों की भूमि

राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र का एक प्रांत जो कि कोटा से अलग किया गया था। हरी भरी वादियों और घाटियों से घिरा बारां, सम्पदा युक्त पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहाँ प्राचीन युग के अवशेष यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं। इसका इतिहास 14 वीं शताब्दी का माना जाता है, जब सोलंकी राजपूतों ने यहाँ शासन किया था। सन् 1949 में राजस्थान के पुनर्गठन के समय बारां, कोटा का मुख्य आंचलिक कार्यक्षेत्र बना तथा 1991 में ज़िले के रूप में स्थापित हुआ। बारां की प्राकृतिक सुन्दरता, शक्तिशाली क़िले, सुन्दर मन्दिर समूह और इसकी वास्तुकला दर्शनीय है।

बारां में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

बारां आएं और अद्भुत और विविध दर्शनीय स्थलों का आनंद लें। देखें, राजस्थान में बहुत कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

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  • रामगढ़ भंडदेवरा मंदिर

    रामगढ़ भंडदेवरा मंदिर

    शहर से 40 कि.मी. दूरी पर भगवान शिव को समर्पित यह मन्दिर 10वीं शताब्दी का प्राचीन मन्दिर माना जाता है। इसकी वास्तुकला की शैली खजुराहो शैली से मिलती जुलती है, इसी लिए इसे राजस्थान का ’मिनी खजुराहो’ भी कहा जाता है। एक छोटे तालाब के किनारे बसा यह मन्दिर अन्य मन्दिरों से अनूठा है। यहाँ प्रसाद के तौर पर, एक देवता को मिठाई व सूखे फल चढ़ाए जाते हैं तो दूसरे आराध्य की सेवा में मांस मदिरा प्रस्तुत किया जाता है।

  • शाहबाद क़िला

    शाहबाद क़िला

    बारां से करीब 80 कि.मी. की दूरी पर शाहबाद का क़िला अपनी मजबूती के लिए जाना जाता है। इसे 16वीं शताब्दी में चौहान राजपूत मुक्तमनी देव द्वारा निर्मित कराया गया था। घने जंगली इलाके में सीना ताने यह क़िला, कुंड कोह घाटी से घिरा है और इसकी दीवारें कुछ उल्लेखनीय संरचनाओं से सुसज्जित हैं। इतिहास के अनुसार इस क़िले की रक्षा के लिए 18 शक्तिशाली तोपें स्थापित की गईं थीं, जिनमें एक तोप की लम्बाई 19 फुट थी। एक रोचक तथ्य यह भी है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब का वास भी यहाँ कुछ समय के लिए रहा।

  • शाहबाद की शाही जामा मस्जिद

    शाहबाद की शाही जामा मस्जिद

    यह मस्ज़िद बारां से करीब 80 कि.मी. की दूरी पर है, जो अपने वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। इसका प्रारूप दिल्ली की जामा मस्ज़िद को देखकर बनाया गया तथा यह अपने सुन्दर मेहराबों व स्तम्भों के कारण, बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती है।

  • शेरगढ़ किला

    शेरगढ़ किला

    बारां से लगभग ६५ किमी की दूरी पर परवन नदी के किनारे पर स्थित शेरगढ़ किला सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह स्मारक शासकों हेतु सामरिक महत्व रखता था। अनेक वर्षों से विभिन्न राजवंशों के शासन में शेरगढ़ को अपना नाम शेरशाह द्वारा कब्जा करने के बाद मिला ।इसका मूल नाम कोषवर्धन था। ७९० ईस्वी का एक शिलालेख शेरगढ़ किले के भव्य इतिहास को दर्शाता है ।यह राजस्थान के लोकप्रिय किलों में से एक है।

  • शेरगढ़ अभ्यारण्य

    शेरगढ़ अभ्यारण्य

    शहर से लगभग 65 कि.मी. दूर, शेरगढ़ गाँव में यह समृद्ध व सुरम्य अभ्यारण्य है, जहाँ वनस्पति तथा कई जानवरों की लुप्त होती प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ बाघ, भालू, तेंदुए व अन्य जंगली जानवर भी हैं। पर्यटकों तथा फोटोग्राफर्स के लिए यह अभ्यारण्य एक आकर्षण है। यहाँ पहुंचने के लिए सुगम सड़क मार्ग उपलब्ध है।

  • सीताबाड़ी

    सीताबाड़ी

    सीता माता और लक्ष्मण को समर्पित यह मन्दिर, बारां से 45 कि.मी. दूर है तथा ऐसी मान्यता है कि भगवान राम और सीता के दोनों पुत्र लव और कुश का जन्म यहीं पर हुआ था। इसमें कई कुण्ड भी हैं जैसे-वाल्मीकि कुण्ड, सीता कुण्ड, लक्ष्मण कुण्ड, सूर्य कुण्ड आदि। प्रसिद्ध ’सीताबाड़ी मेला’ भी यहीं आयोजित किया जाता है। यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।

  • तपस्वियों की बगीची

    तपस्वियों की बगीची

    यहाँ एक विशालकाय शिव जी की प्रतिमा है, जिसे शाहबाद के स्थानीय लोग पूजते हैं तथा यहाँ पर्यटक भी शांति और सुकून की तलाश में आते हैं। खड़े पहाड़ इस बगीची की पहरेदारों की तरह रक्षा करते हैं। यहाँ कभी सुपारी की खेती हुआ करती थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं। यह एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्पॉट है।

  • काकूनी मन्दिर समूह

    काकूनी मन्दिर समूह

    यहाँ 8वीं सदी के वैष्णव देवताओं और भगवान शिव के मन्दिरों का समूह है। बारां से 85 कि.मी. की दूरी पर स्थित काकूनी, परवन नदी के तट पर स्थित है तथा यहाँ राजा भीम देव द्वारा निर्मित ’भीमगढ़’ किले के अवशेष भी दर्शनीय हैं। काकूनी मंदिरों से कई मूर्तियाँ कोटा और झालावाड़ के संग्रहालयों में लाकर सुरक्षित रखी गई हैं।

  • सूरज कुण्ड

    सूरज कुण्ड

    महान धार्मिक महत्व का, सूर्य देवता के नाम पर, सूरज कुण्ड, चारों ओर से बरामदों से सुरक्षित है। यहाँ स्थानीय लोग, अपने दिवंगत रिश्तेदारों की राख प्रवाहित करने तथा देवताओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए, बड़ी मात्रा में आते हैं। कुण्ड के एक कोने में शिवलिंग की स्थापना की गई है, जहाँ भक्तों की भीड़ तथा पर्यटक भी दिखाई देते हैं।

  • सोरसन वन्यजीव अभ्यारण्य

    सोरसन वन्यजीव अभ्यारण्य

    सोरसन घास मैदान के नाम से प्रचलित है तथा कोटा से 50 कि.मी. दूर है। यह एक पक्षी अभ्यारण्य भी है जो कि 41 वर्ग कि.मी. के दायरे में फैला है। यहाँ झाड़ीदार वनस्पतियाँ, विविध पक्षी, पशुओं की प्रजातियाँ, जल निकाय, तीतर, बटेर, ऑरियॉल्स, रॉबिन, हंस, बत्तखें तथा अद्भुत पक्षियों के झुण्ड भी दिखाई देते हैं। सर्दी के मौसम में यहाँ प्रवासी पक्षी भी जैसे फ्लाई कैचर, मैना आदि के समूह उड़ते नज़र आते हैं। काले हिरण और बारहसिंगा हिरण भी यहाँ देखे जा सकते हैं।

  • सोरसन माताजी मन्दिर

    सोरसन माताजी मन्दिर

    ब्राह्मण समुदाय के लोग इसे माता का मन्दिर कहते हैं तथा बड़ी श्रृद्धा से शीश नवाते हैं। बारां से 20 कि.मी. दूर यह मन्दिर सोरसन गांव में है तथा यहाँ शिवरात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष एक मेला आयोजित किया जाता है। इसमें बड़ी तादाद में भक्त लोग आते हैं। इस मंदिर में एक दीपक की ’अखण्ड ज्योत’ निरन्तर जलती देखी जा सकती है। ऐसी मान्यता है कि यह ज्योत पिछले 400 वर्षों से लगातार जल रही है।

  • नाहरगढ़ क़िला

    नाहरगढ़ क़िला

    लाल पत्थर से निर्मित यह प्रभावशाली क़िला, बारां से लगभग 73 कि.मी. दूरी पर स्थित है। मुगल वास्तुकला के आधार पर निर्मित यह क़िला एक शानदार संरचना है तथा अपनी स्टाइल एवं रूप का उत्कृष्ट उदाहरण है।

  • कन्या दह-विलासगढ़

    कन्या दह-विलासगढ़

    जैसा कि इसके नाम से विदित है, यहाँ के शासक ’राजा खींची’ की राजकुमारी के रूप को देखकर, मुगल शासक औरंगज़ेब आसक्त हो गया था तथा उसने अपने सिपाहियों से राजकुमारी को उठा लाने का आदेश दिया था। राजकुमारी ने उसकी रानी बनने के बजाय, मृत्यु का आलिंगन करना ज़्यादा उचित समझा। राजकुमारी ने यहाँ अपना जीवन समाप्त कर लिया। अपनी हार को देखते हुए औरंगजेब ने पूरे विलासगढ़ को नष्ट कर दिया। इससे पहले यह स्थान एक अच्छे और पूर्णतया विकसित नगर के रूप में प्रसिद्ध था। परन्तु अब यह घने जंगलों के बीच एक निर्जन स्थल है।

  • कपिलधारा

    कपिलधारा

    प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, कपिल धारा, बारां से 50 कि.मी. दूर स्थित है। यहाँ एक सदाबहार झरना और पास में स्थित गौमुख भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।

  • गुगोर क़िला

    गुगोर क़िला

    बारां से 65 कि.मी. की दूरी पर, छबड़ा के पास स्थित भव्य ’गुगोर का क़िला’ भी पर्यटकों के देखने लायक अच्छा स्थल है।

बारां के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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बारां में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon हवाई मार्ग द्वारा जाने के लिए, जयपुर का हवाई अड्डा ही सबसे नज़दीक है, जो कि 213 कि.मी. दूर है।
  • Car Icon सड़क मार्ग द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 76 (27) के माध्यम से राज्य के सभी प्रमुख शहरों के लिए बस सुविधा उपलब्ध है।
  • Train Icon सभी राज्यों से बारां आने के लिए ट्रेन भी उपलब्ध है।

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बारां के समीप देखने योग्य स्थल

  • झालावाड़

    82 कि.मी.

  • कोटा

    74 कि.मी.

  • बूंदी

    बूंदी