भरतपुर
विश्व धरोहर घना पक्षी अभ्यारण्य
पर्यटकों के लिए भरतपुर मूलतः पक्षी विहार है। भरतपुर का नाम भगवान श्रीरामचन्द्र जी के भ्राता ’भरत’ के नाम पर रखा गया। दूसरे भाई लक्ष्मण, भरतपुर के राज परिवार के कुलदेवता के रूप में प्रतिष्ठित है तथा इनके नाम की राज मुहरें और राज चिन्ह यहाँ देखने को मिलते हैं। 5वीं शताब्दी ईसापूर्व, मत्स्य राज्य के विकास के साथ ही यहाँ का इतिहास जुड़ा हुआ है। 18वीं सदी के आरम्भ में महाराजा सूरजमल ने, इस कबीले के मुखिया खेमकरण को हराकर भरतपुर की नींव रखी। उन्होंने शहर का विस्तार कर कई किले, महल व डीग के सुन्दर महल बनवाए।