Welcome to Rajasthan Tourism

  • करौली

    करौली

    लाल पत्थरों में चमकता शहर

करौली

लाल पत्थरों में चमकता शहर

यहाँ के रमणीक स्थल, शांतिमय तीर्थ, महल और सुसज्जित हवेलियाँ आकर्षित करती है पर्यटकों को। करौली मध्य-प्रदेश के बार्डर पर स्थित है तथा इसके दूसरे सिरे पर आप रणथम्भौर के शेरों की दहाड़ भी सुन सकते हैं। यहाँ की इमारतें लाल पत्थरों से बनी होने के कारण अलग से ही नजर आती है। करौली की प्राकृतिक सम्पदा विशेष तौर पर, यहाँ निकलने वाला लाल पत्थर है, जो कि पूरे भारत में सप्लाई किया जाता है। करौली के मुख्य दर्शनीय स्थाल यहाँ की चित्रांकित छतरियों और हवेलियों के वास्तुशिल्प में मुगल स्थापत्य शैली नजर आती है।

करौली में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

करौली में आपको विस्मयकारी आकर्षण और अनूठे स्थल देखने को मिलेंगे। राजस्थान में हमेषा कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

Pointer Icon
  • कैला देवी मन्दिर

    कैला देवी मन्दिर

    करौली के बाहरी इलाके में लगभग 25 किमी दूरी पर कैला देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है जो कि त्रिकुट की पहाड़ियों के बीच कालीसिल नदी के किनारे पर बना हुआ है। यह मन्दिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है तथा इसकी स्थापना 1100 ईस्वी में की गई थी, ऐसी मान्यता है। कैला देवी मन्दिर में प्रतिवर्ष हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह हनुमान जी का मन्दिर है, जिसे यहाँ के लोग ’लांगुरिया’ नाम से पुकारते हैं।

  • मदन मोहन जी मंदिर

    मदन मोहन जी मंदिर

    मदन मोहन जी अर्थात् भगवान कृष्ण जी का मंदिर बड़ा भाग्यशाली माना जाता है। योद्धा लोग युद्ध पर जाने से पहले यहाँ आशीर्वाद लेने आया करते थे। यह मध्ययुगीन मंदिर कृष्ण जी और उनकी संगिनी राधा जी के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापत्य कला में करौली के लाल पत्थर की सुंदर नक़्काशीदार कला नज़र आती है।

  • श्री महावीर जी मंदिर

    श्री महावीर जी मंदिर

    उन्नीसवीं सदी में बना, बेजोड़ वास्तुशिल्प की संरचना है, श्री महावीर जी का मंदिर, जो कि एक जैन तीर्थस्थल है। इस मंदिर की इमारत में जैन कला से प्रेरित संरचना तथा आलेखन है। प्रत्येक वर्ष यहाँ चैत्र शुक्ल पक्ष के 13वें दिन से कृष्ण पक्ष के वैशाख के पहले दिन तक (मार्च-अप्रैल), एक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों जैन श्रद्धालु आते हैं।

  • गोमती धाम

    गोमती धाम

    घने जंगल के बीच, संत गोमती दास जी का आश्रम, सागर तालाब और तिमनगढ़ क़िले के सामने है। यहाँ अत्यन्त शांति मिलती है तथा मानसिक तनाव दूर हो जाता है।

  • भँवर विलास महल

    भँवर विलास महल

    सन् 1938 में महाराजा गणेश पाल देव बहादुर द्वारा, शाही निवास के रूप में भँवर विलास पैलेस/महल बनाया गया था। अब इस महल का एक भाग, हैरिटेज होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, जहाँ पर्यटक शाही ठाठ-बाठ का अनुभव कर सकते हैं। इसका भीतरी भाग सुंदर प्राचीन फर्नीचर से सुसज्जित है।

  • कैला देवी अभ्यारण्य

    कैला देवी अभ्यारण्य

    करौली में मंदिर, महल और क़िले के अलावा एक अभ्यारण्य भी है। कैला देवी मंदिर के पास घने जंगलों में बाघ, लोमड़ी, चिंकारा, नीलगाय, तेंदुआ, सियार आदि को इस अभ्यारण्य में चिंतारहित विचरण करते हुए देखा जा सकता है। यह अभ्यारण्य आगे जाकर रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान में मिल जाता है। हरीतिमा से आच्छादित यह स्थल प्रवासी पक्षियों जैसे किंगफिशर, सैन्ड पाइपर, क्रेन्स आदि का घर है।

  • सिटी पैलेस

    सिटी पैलेस

    करौली का सिटी पैलेस, लगभग चौदहवीं सदी में राजा अर्जुनपाल द्वारा बनवाया गया था। उसके बाद अट्ठारहवीं सदी में राजा गोपाल सिंह ने इसके स्वरूप को निखारा। यहाँ की नक़्काशी, जाली, झरोखे और भित्तिचित्रों में प्रयोग किए गए खूबसूरत रंग और शैली इस महल को ख़ास महत्व प्रदान करते हैं। लाल पत्थर के साथ, सफेद पत्थरों का मेल इस महल के आकर्षण में और भी बढ़ोतरी करता है। इस महल के ऊपर की तरफ से विषाल भद्रावती नदी का सौन्दर्य और पूरे करौली शहर का नयनाभिराम दृश्य देखा जा सकता है।

  • राजा गोपालसिंह जी की छतरी

    राजा गोपालसिंह जी की छतरी

    राजा महाराजाओं की मृत्यु के पश्चात्, उनके नाम की, पत्थर की सुन्दर छतरियाँ बनाई जाती हैं। महल में बाहर की तरफ राजा गोपाल सिंह जी की छतरी नदी के पास स्थित है। आस पास के गाँवों, राज्यों से तथा साथ लगे मध्य प्रदेश से काफी लोग यहाँ श्रृद्धासुमन अर्पित करने आते हैं।

  • तिमनगढ़ किला

    तिमनगढ़ किला

    करौली से 40 कि. मी. की दूरी पर तिमनगढ़ राजा तिमनपाल का क़िला स्थित है। 11वीं सदी में निर्मित इस क़िले पर कई हमले हुए, जिससे इसकी सर्वाधिक संरचना नष्ट हो गई थी। उसके पश्चात् 1058 ई.0 में राजा तिमनपाल ने इस क़िले के पुननिर्माण के साथ ही, इसकी वास्तुकला तथा भित्तिचित्रों द्वारा इसे एक नया रूप दे दिया। अन्त में इसे अकबर ने जीता और अपने मंसूबेदार को उपहार स्वरूप भेंट कर दिया।

  • देवगिरी किला तथा उत्गीर किला

    देवगिरी किला तथा उत्गीर किला

    चम्बल नदी की सुन्दर घाटियों के बीच, करौली से लगभग 70 कि. मी. की दूरी पर, देवगिरी का क़िला अपना सर उठाए खड़ा है। करौली के वंशज, इस क़िले का उपयोग आपातकालीन सैन्य रक्षक दुर्ग के रूप में किया करते थे। यह यदुवंशियों की राजधानी थी तथा अरावली के त्रिकोणीय शिखर पर स्थित देवगिरी का निर्माण, लोध योद्धाओं द्वारा किया गया था।

  • मण्डरायल

    मण्डरायल

    करौली से लगभग 40 कि. मी. की दूरी पर स्थित मण्डरायल मध्य प्रदेश की सीमा से मिलता है। यहाँ पर महाराजा हरबक्श पाल द्वारा एक सैन्य रक्षक क़िले का निर्माण किया गया। कुछ समय तक यहाँ मुस्लिम क़िलेदार मियां-मकान था। तत्पश्चात् सन् 1327 ईस्वी में राजा अर्जुन देव ने इस किले पर कब्जा कर इसकी महत्ता में बढ़ोतरी की थी। इसके बीच में बना बारादरी मंदिर तथा यहाँ का मगरमच्छ अभ्यारण्य (क्रोकोडाईल सैंक्चुअरी) देखने लायक़ है।

  • गधमोरा

    गधमोरा

    अरावली की पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा ’गधमोरा’ एक ऐतिहासिक नगर है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण के समय में इसका प्रादुर्भाव हुआ। इसके शासक राजा मोरध्वज ने इस नगर को यह नाम दिया था। कोणार्क मन्दिर के वास्तुशिल्प से मिलता जुलता तथा 13वीं 14वीं शताब्दी के बौद्ध स्तूप, यहाँ के बने मन्दिर, केदारनाथ बाबा की गुफा, भगवान देवनारायण का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। नारायणी माता के मन्दिर में यहाँ प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति के अवसर पर मेला लगता है।

  • गुफ़ा मंदिर

    गुफ़ा मंदिर

    यह मंदिर वास्तविक रूप से कैलादेवी का असली मंदिर माना जाता है तथा रणथम्भौर के घने जंगलों के बीच स्थित, इस मंदिर के आस पास सभी तरह के जंगली जानवर दिखाई देते हैं। पर्यटकों को यहाँ जाने के लिए सावधानी बरतना अत्यावश्यक है। स्थानीय लोग यहाँ प्रतिदिन पूजा के लिए 8-10 कि. मी. पैदल चलकर भी आते हैं। करौली में देखने लायक़ बहुत से मंदिर, क़िले, जंगल, नदी के तट और महल हैं। यहाँ पर आने के लिए सितम्बर से मार्च तक का समय अति उत्तम है। जून से अगस्त के बीच यहाँ अच्छी बरसात होती है। करौली में स्थानीय हस्तशिल्पियों द्वारा बनाई गई चमड़े की जूतियां, चाँदी के आभूषण, कांच की चूड़ियाँ तथा लकड़ी के खिलौने पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। करौली राजस्थान में पूर्व की ओर जयपुर से लगभग 160 कि.मी. दूर, राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट है। रेल मार्ग हिण्डौन सिटी रेल्वे स्टेशन से तथा दिल्ली मुम्बई जाने के लिए गोल्डन टैंपल मेल और पश्चिम एक्सप्रेस से जुड़ा हुआ है।

  •   माता   केलादेवी मंदिर

    माता केलादेवी मंदिर

    करौली जिले में स्थित केलादेवी मंदिर पर जाने के लिए बस व टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है। कैलादेवी मंदिर की स्थापना काफी प्राचीन मानी जाती है। प्रतिवर्ष चैत्र माह में मेला लगता है। जो कि लाखों की तादाद में श्रद्वालु आते है। यहां पर लोग लागुरियां भजन भी गातें है।

  • मदनमोहन जी मंदिर

    मदनमोहन जी मंदिर

    करौली जिले में स्थित मदनमोहन जी का मंदिर यह मंदिर भद्रावती नदी के किनारे पर बना हुआ है। श्रद्वालुओं के लिए सुबह 500 बजे से रात 10ः00 बजे तक मंदिर खुला रहता है। मंदिर पर जाने के लिए गंगापुर सिटी से बस व टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है। हिण्डोंन सिटी या महावीर जी से रेल द्वारा भी पहुचाया जा सकता है।

  • ग्राम कदमखुंदीटी

    ग्राम कदमखुंदीटी

    जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूरी पर कदमखुंदीटी गांव में लगभग 600 वर्ष पुराना ऐतिहासिक स्थल संत घासीराम की तपोभूमि है।यहां पर लगभग 10.15 किलोमीटर तक कदम के पेड़ों का घना जंगल है। रामनवमी को प्रतिवर्ष मेला लगता है। विषेशकर अमावस्याए पूर्णिमा को श्रद्वालुओं का अधिक आवागमन रहता है।

  • श्रीमहावीरजी जैन मंदिर

    श्रीमहावीरजी जैन मंदिर

    करौली जिले में स्थित यह जैन समाज के चमत्कारी तीर्थो में माना जाता है। मंदिर पर जाने के लिए श्रद्वालुओं को बस व टैक्सी व ट्रेन द्वारा जाया जा सकता है। ट्रेन द्वारा श्रीमहावीरजी नोरंगाबाद मथुरा मार्ग पर श्रीमहावीरजी रेल्वे स्टेशन पर उतरना पडता है। प्रतिवर्ष महावीर जंयती पर मेला लगता है। लाखों की तादाद में श्रद्वालुओं का आवागमन बना रहता है।

करौली के उत्सव और परम्पराओं का आनन्द लें। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

Pointer Icon

करौली में गतिविधियाँ, पर्यटन तथा रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान हमेशा ही कुछ निराला है।

Pointer Icon
यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट है।
  • Car Icon रेल मार्ग हिण्डौन सिटी रेल्वे स्टेशन है। दिल्ली मुम्बई से गोल्डन टैंपल मेल और पश्चिम एक्सप्रेस तथा अन्य कुछ रेलों द्वारा करौली पहुंचा जा सकता है।
  • Train Icon करौली राजस्थान में पूर्व की ओर जयपुर से लगभग 160 कि.मी. दूर, राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। करौली पहुंचने के लिए राजस्थान के सभी मुख्य शहरों से बसें उपलब्ध हैं।

मैं करौली का दौरा करना चाहता हूं

अपनी यात्रा की योजना बनाएं