हनुमानगढ़
सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रतीक
मूल रूप से ’भटनेर’ के नाम से पहचाना जाने वाला शहर, दिल्ली से 369 कि.मी. तथा जयपुर से 405 कि.मी. दूर है। कभी यह सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा हुआ करता था। इस क्षेत्र में खुदाई में एक प्राचीन युग से सम्बन्धित मानव इतिहास के महत्व की कुछ महान आश्चर्यजनक कलाकृतियों का पता चला है। शहर को कृषि बाजार भी कहा जाता है जहां कपास और ऊन हाथकरघों पर बुने और बेचे जाते हैं। ‘भटनेर क़िला’ हनुमानगढ़ का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है, जिसका इतिहास हजारों वर्षों से भी अधिक पुराना है। भाटी वंष के राजाओं के प्रदेश हनुमानगढ़ को मूल रूप से भटनेर कहा जाता था पर जब बीकानेर के राजा सूरज सिंह ने शहर को जीत लिया तब उन्होंने इसे ‘हनुमानगढ़’ नाम दिया। क्योंकि शहर को मंगलवार को जीता गया था और ये दिन हिंदू भगवान हनुमान का वार होने से बेहद शुभ माना जाता है। हनुमानगढ़ क्षेत्र इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक अटूट हिस्सा था। दिल्ली - मुल्तान राजमार्ग पर अपने स्थान के कारण भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण था क्योंकि मध्य एशिया, सिंध और काबुल के व्यापारियों ने दिल्ली और आगरा के माध्यम से भटनेर की यात्रा की थी। क्षेत्र में खुदाई करने पर प्राचीन युग की कई कलाकृतियों, सिक्कों और यहां तक कि इमारतों के अवशेष मिले हैं। हनुमानगढ़ रेलवे जंक्शन है तथा यहाँ से सभी शहरों के लिए ट्रेन उपलब्ध है। यहाँ पर सर्दी के मौसम में पारा 00 तक पहुँच जाता है। पर्यटन की दृष्टि से यह जिला नक्शे पर उभर रहा है।
 
				
            






 
                 
    







 
             
                     
                    
 
                         
                        