Welcome to Rajasthan Tourism

  • शेखावाटी

    शेखावाटी

    शानदार हवेलियों की नगरी

शेखावाटी

शानदार हवेलियों की नगरी

राव शेखा का घर-शेखावाटी। इस अंचल में चुरू, सीकर और झुझंनू सम्मिलित हैं। परीलोक जैसी हवेलियाँ, इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए स्वर्ग बनाती हैं। इस हवेलियों के वास्तुशिल्प और इनकी दीवारों पर की गई रंग बिरंगी, अद्भुत चित्रकारी देखकर, हर कोई ठगा सा रह जाता है। लगता है हम किसी कल्पना लोक में आ गए हैं। बहुरंगी राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने में, यहाँ की अद्भुत हवेलियों का विशेष सहयोग है। राजस्थान के उत्तरी भाग में स्थित शेखावाटी अपने शिल्प और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यहाँ की हवेलियाँ और भव्य आशियाने, अट्ठारहवीं और बीसवीं शताब्दी के मध्य बनाए गए थे। शेखावाटी में बड़े-बड़े सेठों - बिड़ला, डालमियां, चमड़िया, पोद्दार, कानोड़िया, गोयनका, बजाज, झुनझुनवाला, रूइया, खेमका, सर्राफ, सिंहानिया की हवेलियाँ, अधिकतर खाली पड़ी हैं। यहाँ सिर्फ चौकीदार रहते हैं, क्योंकि सेठों के परिवार अधिकतर बड़े शहरों या विदेशों में हैं। इन सेठों ने विदेशों के खूब दौरे किए और जब भारत के गाँवों में बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी से आगे लोगों ने कुछ नहीं देखा था, उस समय इन सेठों ने अपनी हवेलियों में विदेशों में देखी कारों, हवाई जहाजों के चित्र बनवाए। आज जब विदेशी यहाँ आकर यह हवेलियाँ देखते हैं तो चित्रकारी को देखकर अचम्भित रह जाते हैं। पौराणिक कथाओं, भगवान राम और कृष्ण की वीरता की कथाएं और रंग बिरंगे फूल, पत्ते, बेल-बूंटे, चिड़ियाँ, मोर, शेर, सांप, हिरण, हाथी-सभी तरह के पशु- पक्षियों के चित्रों से सुसज्जित हवेलियाँ उस समय की कला यात्रा को जीवंत करती हैं। यहाँ हवेलियों के अलावा मंदिर व बावड़ियाँ भी कलात्मक रूप से सजाई गई हैं।

शेखावाटी में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

आइए, शेखावाटी के अद्भुत सौन्दर्य का अवलोकन करें - राजस्थान में देखने के लिए बहुत कुछ निराला है।

Pointer Icon
  • सेठानी का जोहड़ा

    सेठानी का जोहड़ा

    जोहड़ा मतलब जलाशय, तालाब। राजस्थान में रगिस्तान होने के कारण शुरू से पानी की कमी रही है। इसलिए यहाँ कच्चे और पक्के जलाशय बनाए जाते थे जिनमें वर्षा का पानी एकत्र करके रखा जाता था। चूरू से 5 कि.मी. पश्चिम में रतनगढ़ की ओर जाने वाली सड़क पर ’सेठानी का जोहड़ा’ है। सन् 1899 में भगवानदास बागला की विधवा ने इसे बनवाया था तथा इसमें एक मानसून से अगले मानसून तक पानी उपलब्ध रहता है। यहाँ के सेठों ने भी इसे बनवाने में योगदान दिया था।

  • कन्हैयालाल बागला की हवेली

    कन्हैयालाल बागला की हवेली

    मुख्य बाजार में यह हवेली 1880 में निर्मित की गई थी। इसमें बेजोड़ जालीदार काम है तथा अनूठी स्थापत्य कला है। हवेली के भित्ति चित्रों में प्रेम आधारित लोक आख्यानों का चित्रण किया गया है जैसे ढ़ोला-मारू की जीवन श्रृंखला, ऊँट पर बैठे प्रेमी - प्रमिका आदि।

  • अष्टखम्भा छतरी

    अष्टखम्भा छतरी

    सब्जी बाजार में सन् 1776 में बनी अष्ट खम्भा छतरी एक ऐतिहासिक महत्व वाला अष्ट खम्भा गुम्बद है। इसका बाहरी स्वरूप काफी नष्ट हो गया है। परन्तु इसके अन्दर की नक्काशी और भित्ति चित्र आज भी सलामत है।

  • रतनगढ़ किला

    रतनगढ़ किला

    आगरा - बीकानेर राजमार्ग पर बना रतनगढ़ किला, सूरत सिंह द्वारा बनवाया गया था तथा उनके पुत्र रतन सिंह के नाम पर इसका नाम रखा गया था। यह किला कई गाँवों से घिरा है तथा इसके मजबूत प्रवेश द्वार, अन्य स्मारक जो खण्डहर हो गए हैं और घंटाघर दर्शनीय हैं।

  • लक्ष्मी नारायण मंदिर

    लक्ष्मी नारायण मंदिर

    बाहर से साधारण दिखने वाला मंदिर भीतर से भव्य है। इसका प्रवेश द्वार, कटावदार मेहराब व भित्ति चित्रों से सुसज्जित है। यहाँ का शांत वातावरण मन को शांति प्रदान करता है।

  • दिगंबर जैन मंदिर

    दिगंबर जैन मंदिर

    इस मंदिर की आंतरिक सजावट एक शाही दरबार जैसी है। दीवारों पर कांच के अलंकरण, राजपूत युग की भव्यता दर्शाते हैं। 150 वर्ष पुराने इस जैन मंदिर में कुछ उत्कृष्ट चित्र स्वर्ण रंगों में चित्रित किए गए हैं जो कि नैतिक जीवन की शिक्षाओं पर आधारित हैं।

  • ताल छापर अभ्यारण्य

    ताल छापर अभ्यारण्य

    उछलते- कूदते, अठखेलियाँ करते, छोटे छोटे मृग शावक यानि हिरण के बच्चे आपका मन मोह लेंगे। ब्लैक मनी यानि काले हिरण की यह सैंक्चुअरी छापर गाँव में है, जो कि जयपुर से 210 कि.मी. दूर चूरू के सुजानगढ़ तहसील में है। काले हिरण का यह अभ्यारण्य, खुले मैदान, बड़े पेड़ों तथा लताओं से आच्छादित है। यहाँ हिरणों के साथ, रेगिस्तानी लोमड़ी, जंगली बिल्ली को भी देखा जा सकता है। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यहाँ पर चील, आइबीज, दक्षिण यूरोप और मध्य एशिया में पाए जाने वाले सारस, क्रेन, चकवा, लका, कबूतर आदि देखने को मिलते हैं। यह अभ्यारण्य फॉरेस्ट डिपार्टमेन्ट के अधीन है तथा यहाँ बाकायदा उनका ऑफिस बना हुआ है, जहाँ से एन्ट्री की जाती है।

  • लक्ष्मणगढ़ किला

    लक्ष्मणगढ़ किला

    लक्ष्मणगढ़ नगर में यह किला गौरवशाली स्थापत्य का नमूना है। पूरे विश्व में यह स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है जो कि यहाँ बिखरी चट्टानों के टुकड़ों को संजो कर बनाया गया था। इसके शिखर पर चढ़कर नीचे बसे लक्ष्मणगढ़ का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

  • मनसा देवी मंदिर

    मनसा देवी मंदिर

    मनसा देवी को माता रानी और वैष्णवी देवी के नाम से भी पूजा जाता है। यह उत्तरी भारत के प्रतिष्ठित पूजा स्थलों में से एक है तथा सबसे पवित्र माना जाता है।

  • रघुनाथ जी मंदिर

    रघुनाथ जी मंदिर

    बड़ा मंदिर नाम से पहचान बनाने वाला यह मंदिर रतनगढ़ के पास है। 19वीं शताब्दी में बना मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान रघुनाथ या राम को समर्पित है। इसका प्रवेश द्वार काफी ऊँचा है तथा शीर्ष पर कपोलों की एक श्रृंखला है। जीवन के दुख दर्द दूर करने और शांति प्रदान करने के लिए इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

  • फ़तेहपुर

    फ़तेहपुर

    फतेहपुर शहर क़ायमखानी नवाब फतेह मोहम्मद ने 1508 ईस्वी में स्थापित किया था। उन्होंने 1516 में फतेहपुर के किले का निर्माण करवाया। यह शहर एक समय सीकर की राजधानी के रूप में भी जाना गया था। आज फतेहपुर शेखावाटी की लोकप्रिय सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता हैं। यहाँ अनेक दर्शनीय जगह है, जिसमें से द्वारकाधीश मंदिर, सिंघानिया हवेली, नादिन ल प्रिंस कल्चरल सेंटर और फतेहचंद की हवेली उल्लेखनीय हैं।

  • रामगढ़

    रामगढ़

    भारत के सबसे वैभवशाली नगरों में से एक यह नगर 1790 ई. में पोद्दार परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। यहाँ के पुराने मंदिर, छतरियाँ तथा हवेलियों में बने चित्रों के लिए सुविख्यात है। रामगढ़ के पास ही बने रामगोपाल की छतरी और पोद्दार हवेली विशेष रूप से दर्शनीय हैं।

  • खेतड़ी महल

    खेतड़ी महल

    ’झुझंनू खेतड़ी महल’ कला और वास्तु संरचना के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। इसे झुझंनू के हवा महल के रूप में भी जाना जाता है। 1770 में इस महल का निर्माण हुआ था। आश्चर्यजनक तथ्य है कि खेतड़ी महल में कोई झरोखे या द्वार नहीं है फिर भी इसे हवा महल के नाम से जाना जाता है। खेतड़ी महल का अनोखापन, हवा के अबाध प्रवाह हेतु व्यवस्थित रूप से बनाये गये भवनों के निर्माण के कारण है। महल के लगभग सभी कक्षों में सुव्यवस्थित स्तम्भ और मेहराब एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं जो कि किले को शानदार समृद्ध रूप प्रदान करते हैं।

  • सनसेट पॉइंट मोडा पहाड़

    सनसेट पॉइंट मोडा पहाड़

    सूर्यास्त देखने के लिए मोडा पहाड़ एक लोकप्रिय स्थान है। अजीत सागर झील के तटों से लगा हुआ यह स्थान कई प्रवासी पक्षियों और बारसिंगा का घर है। इस स्थान का मनभावन प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों के लिए दर्शनीय बन पड़ा है।

  • रानी सती मंदिर

    रानी सती मंदिर

    रानी सती मंदिर राजस्थान में झुझंनू जिले में स्थित विख्यात मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास 400 से अधिक वर्षों का है। स्त्री शक्ति का प्रतीक यह मंदिर अपनी गरिमा और असाधारण चित्रों के लिए जाना जाता है। यह पुराने भारतीय तीर्थ के रूप में भी माना जाता है।

  • हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह

    हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह

    नेहरा पहाड़ की तलहटी में खेतड़ी महल के पश्चिम में स्थित कमरूद्दीन शाह की दरगाह एक खुला व्यवस्थित परिसर है। जिसमें मस्जिद और मदरसा है, (यहाँ प्राचीन भित्ति चित्र अभी भी देखे जा सकते हैं), इसके मध्य में सूफी संत कमरूद्दीन शाह की अलंकृत दरगाह है।

  • श्री पंचदेव मन्दिर

    श्री पंचदेव मन्दिर

    शेखावाटी प्रांत में प्रसिद्ध श्री पंचदेव मंदिर स्थित है। इसके कोने कोने में बहादुरी और वीरता का अपना इतिहास बयाँ होता है। हवेली के सर्वोत्कृष्ट भित्तिचित्र पर्यटकों को वर्ष भर आकर्षित करते हैं। शेखावाटी क्षेत्र पर्यटकों को धार्मिक तीर्थस्थल के अलावा कई और मनोरम स्थल प्रदान करता है। मंदिर की स्थापत्य कला और रेखांकन, इसके चारा और सदाबहार उद्यान का संग इसे एक मन भावन स्थल बनाता है।

  • बंदे के बालाजी मंदिर

    बंदे के बालाजी मंदिर

    बंदे के बालाजी एकमंजिला, आधुनिक मंदिर है जिसके आसपास शिखर और पर्वत शिखायें हैं। यह भारत के लोकप्रिय हनुमान मंदिरों में से एक है। बालाजी की प्रतिमा हनुमान की अन्य प्रतिमाओं से अलग है। अन्य हनुमान मूर्तियों के विपरीत, बालाजी को गोलाकार मुंह और दाढ़ी के साथ दिखाया जाता है, जो इसे दुनिया भर में सबसे अनोखी मूर्ति बनाता है।

  • मंडावा

    मंडावा

    प्राचीन समय में मध्यपूर्व और चीन के मध्य का प्राचीन व्यापारिक मार्ग का एक मुख्य केन्द्र था मंडावा। यहाँ से सामान का आदान - प्रदान किया जाता था। यहाँ के ठाकुर नवल सिंह ने नवलगढ़ और मंडावा पर शासन किया। मंडावा में एक किला बनवाया तथा किले के चारों तरफ नगर बसाया। यहाँ अनेक बड़े व्यापारी आकर बस गए, जिन्होंने अनूठी, अद्भुत, अजब-गजब हवेलियों की नींव रखी और इस नगर को पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र बना दिया। इस किले के भित्ति चित्र, काँच का काम तथा आकर्षक मेहराबदार द्वार, भगवान कृष्ण के चित्रों से शोभायमान हैं। अब यह किला एक हैरिटेज होटल में परिवर्तित कर पर्यटकों के ठहरने के लिए उपलब्ध है।

  • डून्डलोद

    डून्डलोद

    झुझंनू का एक उपनगर डूंडलोद, अपने किले, हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसे शासक सरदार सिंह के पुत्र केसरी सिंह ने 1750 ई. में बनवाया था। दिल्ली जयपुर तथा बीकानेर से सड़क मार्ग पर स्थित यह किला राजपूत और मुगल शैली की स्थापत्यकला का मिश्रण है। किले के पास बनी रामदत्त गोयनका की छतरी 1888 ई. में बनवाई गई थी। इसके गुम्बद केन्द्र में फूलों के अलंकरण तथा चित्र सुसज्जित हैं। डूंडलोद में पाए जाने वाले मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल पूरी दुनियां में प्रसिद्ध हैं।

  • अलसीसर

    अलसीसर

    मरूस्थल से घिरा, झुझंनू में एक छोटा सा नगर है ‘अलसीसर‘। अलसीसर ठाकुर समर्थ सिंह को सम्मानपूर्वक अपने पिता ठाकुर पहाड़ सिंह से मिला, जिन्होंने 1783 ईस्वी में इसे अपनी राजधानी बनाया था। प्रसिद्ध अलसीसर महल राजपूत स्थापत्यकला का एक अच्छा उदाहरण है। इसकी दीवारों पर शेखावत ठिकानेदार द्वारा ऐतिहासिक घटनाओं के सुंदर भित्ति चित्र उत्कीर्ण करवाये गये थे। अपने राजस्थानी आतिथ्य के लिए विख्यात अलसीसर और यहाँ के प्रसिद्ध महल, हवेली पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ आप केजरीवाल हवेली, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ठाकुर चाटू सिंह की छतरी, रामजस झुनझुनवाला की हवेली और अन्य स्थलों को देखना न भूलें।

  • बिसाऊ

    बिसाऊ

    मूल रूप से विशाला जाट की धानी नाम के झुन्झुनू के एक गांव को बिसाऊ कहा जाता है। यह ठाकुर केसरी सिंह को उनके पिता महाराव शार्दुल सिंह जी द्वारा दिया गया था। केसरी सिंह ने एक किला और रक्षात्मक दीवार का निर्माण कराकर इसकी सीमा को मजबूत किया। 1746 ईस्वी में उन्होंने इसका नाम बिसाऊ रखा। बिसाऊ के शासक शेखावाटियों के भोजराज कबीले से संबंधित रहे हैं, जो प्रसिद्ध शासक महाराव शेखा के वंशज थे।

  • नवलगढ़

    नवलगढ़

    झुंझनू और सीकर के बीच स्थित, नवलगढ़ अपनी सुन्दर हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई है, जिसमें कुछ भारतीय तथा कुछ विदेशी फिल्में भी हैं। यहाँ का आकर्षक किला ठाकुर नवल सिंह ने बनवाया था तथा इसके पास रूप निवास, उद्यान तथा फव्वारों से सुशोभित है। इसे अब एक हैरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।

शेखावाटी के उत्सव का हिस्सा बनें। आइए राजस्थान, जहां हर दिन एक उत्सव है।

Pointer Icon

विविध गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच शेखावाटी में आपका इन्तजार कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ अनूठा है।

Pointer Icon
  • विरासत की सैर - (हैरिटेज वॉक)

    विरासत की सैर - (हैरिटेज वॉक)

    पुराने शहर चूरू में बहुत ही सुंदर भित्तिचित्रित हवेली, संकरी गलियां और पुरानी विरासत संरचनाएँ है। चुरू के समृद्ध इतिहास और विरासत की एक झलक पाने के लिए यहां पर सुबह - शाम चले जाईये।

यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon निकटतम हवाई अड्डा जयपुर - 113 किलोमीटर है।
  • Car Icon दिल्ली और राजस्थान के अन्य प्रमुख शहरों से शेखावाटी की ओर सीधी बसें हैं।
  • Train Icon दिल्ली और जयपुर से नियमित रेल सेवायें उपलब्ध हैं।

मैं शेखावाटी का दौरा करना चाहता हूं

अपनी यात्रा की योजना बनाएं

शेखावाटी के समीप दर्शनीय स्थल

  • जयपुर

    203 कि.मी.

  • बीकानेर

    180 कि.मी.

  • नागौर

    194 कि.मी.